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|रचनाकार=गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
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'आकुल' या संसार में, एक ही नाम है माँ।
तर जावैं पुरखे 'आकुल', इनके चरण पखार।।10।।
'आकुल' महिमा मात मातु की, की सबने अपरंपार।सहस्त्र पिता बढ़ मात मातु है, मनुस्मृति अनुसार।।11।।
तू सृष्टि की अधिष्ठात्री देवी माँ तू धन्य।
फिरे न बुद्धि आकुल की, दे आशीष अनन्य।।12।।
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