Last modified on 21 दिसम्बर 2018, at 02:58

मनमोहन श्याम हमारे! / तोरनदेवी 'लली'


मनमोहन श्याम हमारे!
अब फिर कब दर्शन दोगे?
शबरी गणिका गीध अजामिल
सब को लिया उबार।
द्रु पदसुता की लाज बचाकर
कर गज का उद्वार।
हे दीनन के रखवारे,
क्या मेरी भी सुध लोगे?
भूली नहीं मधुर मुरली की
विश्व विमोहनि तान।
नाथ आज भी जाग रहा
वह गीता का ज्ञान।