Last modified on 2 जून 2017, at 12:19

मनसँग मन फसेको क्या राम्रो / निमेष निखिल

Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:19, 2 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निमेष निखिल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


मनसँग मन फसेको क्या राम्रो
तिमी मसँग बसेको क्या राम्रो
 
सर्माउँछ फूल तिमीलाई देेखेर
कम्मरमा पटुकी कसेको क्या राम्रो
 
आँखाको बाटो हुँदै सुटुक्क तिमी
मेरो मनभित्र पसेको क्या राम्रो
 
तिमीलाई देख्दा लजाएर हेर
सगरबाट जून खसेको क्या राम्रो।