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"मनाएँ इस तरह होली कि दुनिया की फ़जा बदले / हरिराज सिंह 'नूर'" के अवतरणों में अंतर

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पराए भी बनें अपने कि कुछ ऐसी हवा बदले।
  
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वतन में अम्न हो क़ायम घर आए सब के ख़ुशहाली,
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सभी बीमार हों अच्छे तबीब अपनी दवा बदले।
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न मज़हब आए आड़े अब किसी भी काम में अपने,
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अमीरे-शहर सब के वास्ते तेवर नया बदले।
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ज़माना चौंक उठता है हक़ीक़त आशना होकर,
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करामाती हो अन्दाज़े-बयां वो जब अना बदले।
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फलों से पेड़ लद जाएँ चमन में ‘नूर’ ऐसा हो,
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मगर पत्तों से पहले पेड़ की सूखी क़बा बदले।
 
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23:53, 28 दिसम्बर 2019 के समय का अवतरण

मनाएँ इस तरह होली कि दुनिया की फ़जा बदले।
पराए भी बनें अपने कि कुछ ऐसी हवा बदले।

वतन में अम्न हो क़ायम घर आए सब के ख़ुशहाली,
सभी बीमार हों अच्छे तबीब अपनी दवा बदले।
 
न मज़हब आए आड़े अब किसी भी काम में अपने,
अमीरे-शहर सब के वास्ते तेवर नया बदले।
 
ज़माना चौंक उठता है हक़ीक़त आशना होकर,
करामाती हो अन्दाज़े-बयां वो जब अना बदले।
 
फलों से पेड़ लद जाएँ चमन में ‘नूर’ ऐसा हो,
मगर पत्तों से पहले पेड़ की सूखी क़बा बदले।