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मन्द गति से धड़के है दिल / ओल्गा तकारचुक / अनिल जनविजय

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मन्द गति से धड़के है दिल, बून्द-बून्द टपके है ख़ून,
कितना गहरा प्यार किया है, कितना गहरा उसका जुनून ।
पर देवदूत ले गया आत्मा, उसकी निश्छल अपने साथ,
बहुत प्यार करती थी वो उसे, जानता है वो भी ये बात ।

इन्तज़ार किया उसने देर तक, राह देखी उसकी बहुतेरी,
वादों पर बेहद विश्वास था उसके, पर वादे थे वे हेरा-फेरी ।
वो राह देखती रही अन्त तक, आँखों से आँसू रही बहाती,
न घण्टी बजी फ़ोन की उसके, एसएमएस, निकला संघाती ।

अन्धकार छा गया आत्मा पर, भय छाया था, धूल थी छाई,
मधुर अतीत था प्रेम का पल वह, दिल पे उसके भूल थी छाई ।
सब कुछ ख़त्म हो चुका था.. धड़के दिल.. बन्द हो गईं आँखें,
वो ख़ुद देवदूती बन गई, चली गई स्वर्ग, खोल दिल की पाँखें ।

अब फ़ोन करेगा अगर वो कभी तो उसे घण्टी न देगी सुनाई,
देवदूतों के होती नहीं जेबें, न उनके पास होते टेलीफ़ोन, भाई ।
फ़ोन करेगा अब यदि वो उसे, तो कोई उत्तर वो नहीं पाएगा,
चली गई बिन टिकट जहाँ पर, वो उससे वहीं मिलने जाएगा ।

रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय