भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मन करता है / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तैलंग |संग्रह=इक्यावन बालगीत / रमेश तैलंग }}…)
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=रमेश तैलंग  
 
|रचनाकार=रमेश तैलंग  
|संग्रह=इक्यावन बालगीत / रमेश तैलंग
+
|संग्रह=मेरे प्रिय बालगीत / रमेश तैलंग; उड़न खटोले आ / रमेश तैलंग; इक्यावन बालगीत / रमेश तैलंग  
 
}}
 
}}
 
{{KKCatBaalKavita}}
 
{{KKCatBaalKavita}}

02:41, 18 सितम्बर 2011 का अवतरण

मन करता है,
अपना बचपन-
रख दूँ ताले में ।

नटखटपन, ये शैतानी,
ये हँसी खिलखिलाती ।
रूठा-रूठी, मान-मनौवल,
सपनों की थाती ।
मन करता है,
यह सारा धन-
रख दूँ ताले में ।

क्या जानूँ, कल
चोर चुरा ले चुपके से आकर ।
आ जाएँ आँखों में मेरी
आँसू घबरकर ।
तब कैसे मुँह
दिखलाऊँगा
भरे उजाले में ?
मन करता है
अपना बचपन
रख दूँ ताले में ।