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"मन चमन हो गया / कमलेश द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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ख़ुशबुओं से हुई
 
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तर-ब-तर ज़िन्दगी।
 
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बेअसर ज़िन्दगी।
 
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गंध का यों घना आयतन हो गया।
 
गंध का यों घना आयतन हो गया।

23:04, 21 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण

फूल मन का खिला मन चमन हो गया।
मैं धरा पर रहा मन गगन हो गया।

ख़ुशबुओं से हुई
तर-ब-तर ज़िन्दगी।
बाअसर हो गई
बेअसर ज़िन्दगी।
गंध का यों घना आयतन हो गया।
मैं धरा पर रहा मन गगन हो गया।

साँस हर इक हुई
संदली-संदली।
प्यार की मिल गई
आज गंगाजली।
नेह के नीर से आचमन हो गया।
मैं धरा पर रहा मन गगन हो गया।

था पराया वही
आज अपना हुआ।
आज साकार फिर
एक सपना हुआ।
उड़ रहा मन कि जैसे पवन हो गया।
मैं धरा पर रहा मन गगन हो गया।