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"मन बगिया / सुरंगमा यादव" के अवतरणों में अंतर

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मन बगिया
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प्रेम के किस्से
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दर्द की जागीर है
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हमारे हिस्से ।
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मन एकाकी
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गहन अंधकार
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दीप-सा जला।
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मन की रेत
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कुरेदी तनिक -सी
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नमी ही नमी।
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कोमल तंतु
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विश्वास जब टूटा
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नेह भी रूठा।
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देह से परे
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कभी मन को मेरे
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छू कर देखो।
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करूँ प्रतीक्षा
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ये मन-महाकाव्य
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बाँचे तो कोई ।
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नभ में तारे
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उभरे मन पर
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पीड़ा के छाले।
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भाव प्रकोष्ठ
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कितनी आकृतियाँ
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फिर भी रिक्त ।
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आँसू न कहो
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पीड़ा के सागर से
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छलकी बूँदें ।
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आँखों में  नमी
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उमड़ी है बदली
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मन में कहीं ।
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'''मन बगिया
 
कलरव करते
 
कलरव करते
यादों के पंछी
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यादों के पंछी'''
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00:16, 19 जनवरी 2021 के समय का अवतरण

1
प्रेम के किस्से
दर्द की जागीर है
हमारे हिस्से ।
2
मन एकाकी
गहन अंधकार
दीप-सा जला।
3
मन की रेत
कुरेदी तनिक -सी
नमी ही नमी।
4

कोमल तंतु
विश्वास जब टूटा
नेह भी रूठा।
5
देह से परे
कभी मन को मेरे
छू कर देखो।
6
करूँ प्रतीक्षा
ये मन-महाकाव्य
बाँचे तो कोई ।
7
नभ में तारे
उभरे मन पर
पीड़ा के छाले।
8
भाव प्रकोष्ठ
कितनी आकृतियाँ
फिर भी रिक्त ।
9
आँसू न कहो
पीड़ा के सागर से
छलकी बूँदें ।
10
आँखों में नमी
उमड़ी है बदली
मन में कहीं ।
11
मन बगिया
कलरव करते
यादों के पंछी