मेरे पास फटे कपड़े क्यों
राजू पहने नई पोशाकें
मैं तरसूँ क्यों भुने चनों को
सौरभ खाए पिस्ता, दाखें
बापू जी भर मेहनत करते
लेकिन फिर भी हैं कंगाल
मन में उठता यही सवाल ...
माँ कहती हैं हम ग़रीब हैं
वे अमीर के बच्चे
मुझे मारते हैं वे मिलकर
फिर भी हैं वे अच्छे
कुछ न करें सुमन के डैडी
फिर भी क्यों वे मालामाल
मन में उठता यही सवाल ...