Last modified on 3 नवम्बर 2008, at 22:53

मरना / महमूद दरवेश

दोस्तो! आप उस तरह तो न मरिए
जैसे मरते रहे हैं अब तक

मेरी विनती है- अभी न मरें
एक साल तो रुक जाएँ मेरे लिए
एक साल
केवल एक साल और-

फिर हम साथ-साथ सड़क पर चलते हुए
अपनी तमाम बातें करेगें एक दूसरे से
समय और इश्तहारों की पहुँच से परे-
कब्रें तलाशने और शोकगीत रचने के अलावा
हमारे सामने अभी पड़े हुए हैं
अन्य बहुतेरे काम।

अनुवाद : यादवेन्द्र