मरने की दुआएँ क्यूँ मांगूँ , जीने की तमन्ना कौन करे
यह दुनिया हो या वह दुनिया अब ख्वाहिश-ए-दुनिया कौन करे
जब कश्ती साबित-ओ-सालिम थी तब साहिल की तमन्ना किस्को थी
अब ऐसी शिकस्ता कश्ती पर साहिल की तमन्ना कौन करे!
जो आग लगाई थी तुमने उसको तो बुझाया अश्कों से
जो अश्कों ने भड़्काई है उस आग को ठन्डा कौन करे
दुनिया ने हमें छोड़ा जज़्बी हम छोड़ न दें क्यूं दुनिया को
दुनिया को समझ कर बैठे हैं अब दुनिया दुनिया कौन करे