Last modified on 11 फ़रवरी 2009, at 21:33

मरने के बाद / नवीन नीर

गंगाराम (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:33, 11 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवीन नीर |संग्रह= }} <Poem> मरने के बाद मेरी लाश को जला...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मरने के बाद मेरी लाश को
जलाना ना
दफ़नाना ना
बल्कि काल-चक्र के किसी पेड़ पर
उल्टा टाँग देना
किसी कंकाल की तरह

ताकि मैं मरने के बाद तो
इस दुनिया को
सीधी तरह देख सकूँ ।