महव-ए-फ़रियाद हो गया है दिल
आह बर्बाद हो गया है दिल
सीना-कावी में अपने नाख़ुन से
रश्क-ए-फ़रहाद हो गया है दिल
देखते देखते सितम तेरा
सख़्त नाशाद हो गया है दिल
करते ही करते तेरे क़द का ख़याल
मिस्ल-ए-शमशाद हो गया है दिल
हो के पाबंद तेरे काकुल से
सर से आज़ाद हो गया है दिल
उल्फ़त-ए-अहल-ए-बैत से ‘आगाह’
हैदराबाद हो गया है दिल