Last modified on 25 अगस्त 2013, at 08:27

महिमा भोजपुरी माई के / हवलदार त्रिपाठी 'सहृदय'

1.

माँथ प मुकुट बिन्ध, गोड़तारी हेम-खंड
साजि ठाढ़ भोजपुरी माई
कजरारि बदरी सावन के धरेली माँथ देस
लामि केस लरकाई
धनु-अस सोन-तट-भँहु, लिलरा प
रोहितासगढ़ बिन्दिआ लगाई
डाँड में पहिरि गंग-धार करधनिआँ
सबुज रंग साड़ी लहराई।

2.

महिमा अपार देखि माई के अँगनवाँ में
करेला सरग पहुनाई
देवी-देव, ब्रह्म, रिसि-मुनि, गुनिजन, जोधा
गोवेलन अनध बधाई।
बिस्वनाथ, हरिहर, सीधनाथ, सोमनाथ
सेवेले गुपुत अगराई
गोड़ गिरि बिनती गोरखनाथ, हाँथ जोरि
करे दससीसानाथ भाई॥

3.

हरि ब्रह्म, हरसू, दिपउ ब्रह्म, कासीवाला
भइरव करे सेवकाई
चँवर डोलावे बिन्धबासिनि, जखिनि
अन्नपूरना आ महथिन दाई।
पुलह-पुलस्त, बिस्वामित्तर, अगस्त रिसि
भिरुगु करेले बेद-गान
बुद्ध दुखमय सभ देखेले, बतावे जहाँ
करम केवल तिरबान॥

4.

रामजी-परसुराम धनुहा चढ़ावे जहाँ
सीध आसरम ससराँव
बेद-धूनि सुनि, जग्य-कूंड के अगिनि देखि
रावना ना रोपे पावे पाँव।
दरिआ, कबीर, कीनारामजी, गोरखनाथ
अलख जगावे गाँवे-गाँव
तुलसी के साथे-साथे लछिमी सखीजी गावे
सिरिराम-सिरिराम नाँव॥

5.

कासिराज, बत्सराज, दलपति, सेरसाह
हेमू के बनेला इतिहास
कुँवर अमर, चित्तू पाँड़े के कहानी जहाँ
गावेलन बाल्मीकि-ब्यास।
धन्न तोर बिटिआ, बहुरिआ, राजेन्दर जी
बिरिजकिसोर, राधोदास
माई ! तोर कोखि के नगीनवाँ बरेला जय-
परकास चढि़के अकास॥

6.

बसती में सहेट-मँहेट राजधानीगढ़
मल्लगढ़ पावा के गुमान
बेतिआ में चानकी, लउरिआनन्दन तोर
गावेले पुरनका पुरान।
रोहितास, सेरगढ़ अवरू बिजयगढ़
भोजपुरगढ़ के समान
पलामउगढ़ आ चुनारगढ़वा के काहाँ
मिलिहें दुनिअवाँ में सान॥

7.

गाजीपुर ‘भीतरी‘ में सुंग-सेनापति जब
बरिसावे लागलऽअंगार
माटी मिलि गइले मिनांडरा जवन
लाखों सेनवाँ समेत होई छार।
मोगलन के धुरच्छक चउसा छोड़ावे
जब धावे सेरसाह ललकार
कंतित के किला दहकत बिजुरी के धरि
जहवाँ ढारेला तरुवार॥

8.

अमिरित लोगवन में जहवाँ बँटात रहे
राजा दिवोदास के दुआर
राज ‘बइरॉट‘ के मलहवन के काफिला
मथत चले सागरा के धार।
कतुना इआद करीं माइ ! तोर सान-बान
सुधिआ के उठऽता जुआर
रामरेखाघटवा बतावे राम-लछुमन
एहिजे करेले बेड़ा पार।

9.

बानभट्ट, भारतेन्दु, मदनमोहन
मालवीय के किरिति लहराय
कासीपरसाद, रामअवतारसरमा,
सुधाकर, सीपूजनसहाय।
मन्नन, राहुल, जयशंकर, हजारीजी,
भिखारी, हरिअवध सोहाय
गोदिआ में तोरे प्रेमचन्द चमकेले
राजा राधिकारमन इतराय॥

10.

खेतिया सिखावे घाघ-घाघिनी जोतिसिआ
बतावे बरखा के बिगयान
लोरिक-भोरिक, आल्हा-ऊदल, कुँवरधीर
आन प राखेले जे परान।
आजुओ समुन्दरा क मथि तोर पुतवा
उगावऽताड़े नया-नया चान
मॉरिसस, सूरीनाम, ट्रिनीडाड, फीजीदीप
जेहि के हवन पहिचान॥
11.

सरगो से बढि़ तोरे अँगना बसावे कासी
महादेव कहलास छोड़
सुरसरि नभ से उतरि नाना रूप धरि
अँचरा में मारेली हिलोर।
कोइली, करमनासा, तमसा, रिहन्द, काव,
सोन नहवावे भोरे-भोर
सरजू, सरावती, नारायनी, गोमति,
रामरेखाजी पखारऽताड़ी गोड़॥

12.

सारनाथ, अरेराज, लुम्बिनी, गुपुतधाम
ददरी, बरहँपुर ग्राम
आमी, सोनपुर, कासी, कसेया, बिन्धाचला,
सोमेसरा तिरिथ पुन्न धाम।
माई के मन्दिर में बरेले ई रतन सभ
चलींजा निरेखे पाँव-पाँव
आरती उतारींजा, धरींजा पग-धूर माथे
नमन करीं जा ठाँवे-ठाँव !