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"माँ, जानता हूँ कि किसे बेचा तुम ने मुझे / गुन्नार एकिलोफ़" के अवतरणों में अंतर

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किसे बेचा मुझे तुमने :
  
यह था बहुत ऊँचा द्वार,
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बहुत ऊँचा द्वार,
 
जिसे कहते हैं मृत्यु
 
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वहाँ उसकी दर्पणों की दुनिया में
 
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मैं मिला अपने आप से
 
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मानो शिशु स्वयं का
 
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साथ में तुम्हारे सिखाए गीत,
 
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संग सौन्दर्य,
 
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संग दूध
 
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संग मेरी भीगी-धाय के पसीने की गंध
 
संग मेरी भीगी-धाय के पसीने की गंध
उसकी बाहों में मैं
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उसकी बाँहों में मैं
  
 
निरापद ।
 
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'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुधीर सक्सेना'''
 
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16:10, 13 फ़रवरी 2019 के समय का अवतरण

माँ !,
मैं जानता हूँ कि
किसे बेचा मुझे तुमने :

यह था
बहुत ऊँचा द्वार,
जिसे कहते हैं मृत्यु

वहाँ उसकी दर्पणों की दुनिया में
मैं मिला अपने आप से
मानो शिशु स्वयं का

साथ में तुम्हारे सिखाए गीत,
संग सौन्दर्य,
संग किस्से,
संग गहरी निहार,
संग दूध
संग मेरी भीगी-धाय के पसीने की गंध
उसकी बाँहों में मैं

निरापद ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुधीर सक्सेना