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माँ गै दुनियाँ मे दू रंगक लोक / नवल श्री 'पंकज'

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माँ गै दुनिआँमे दू रंगक लोक किएक भगवान बनेलखिन
देव-पितर सभ एक्के तैयो दू रंगक वरदान बनेलखिन

एक्कहि रंगक पेट देखइ छी सभके भूख लगइ छै ओहिना
छुच्छो रोटी लै कियो तरसै ककरो लेल पकवान बनेलखिन

भेटल खिलौना पोथिक संग-संग रंग-बिरंगक अंगा ककरो
ककरो लए त' छिट्टा-खुरपी बाध-बोन-खरिहान बनेलखिन

बखरा सभके एक रंगक छल भगवानो घर भेल दुनेती
ककरो राज भेटल आ ककरो निर्धनकें संतान बनेलखिन

एकहिं कलमसँ लीखल विधिना दू रंगक अभिलेख "नवल"
ककरो माटिक ढेपा ककरो मेघक उज्जर चान बनेलखिन