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माँ तुम, मम मोचन! / आरती 'लोकेश'

माँ तुम, शुचि मंत्र हो तुम!
उचार जिह्वा ले विकल हृदय से,
विप्लव मनस में धीर भरती तंत्र हो तुम।
माँ तुम, अमिय पान हो तुम!
अवरुद्ध कंठ त्राण आशीष हो,
समूल हलाहल नाश का संज्ञान हो तुम।
माँ तुम, शंख सुनाद हो तुम!
अंतर विराजी असुर वृत्ति की,
पराजय के जयघोष का आह्लाद हो तुम।
माँ तुम, अनघ प्रकाश हो तुम!
गत जनम बद्ध पुण्य परम तप,
निशा तम को चीर उद्बोधित उजास हो तुम।
माँ तुम, यज्ञ समिधा हो तुम!
भस्म हवन रच वर्ण भभूति,
ताप हरण अमर अनामय विविधा हो तुम।
माँ तुम, ॐ आकार हो तुम!
ध्यान केंद्र प्रज्ञा छवि दृष्टि,
परम ब्रह्म दर्श लाभ स्वप्न साकार हो तुम।