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"माँ शारदे ! तुमको नमन / राहुल शिवाय" के अवतरणों में अंतर

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लाज प्रार्थना की रख लो माँ
हंसवाहिनी जग को वर दो l

छाया जग पर तम का बादल,
मन में जाग उठे हैं रिपु दल,
फैला लोभ, अहम औ लालच-
मानवता लगती है निर्बल l
ज्ञान दीप, माँ! मन में भरकर-
ज्योतिर्मय सारा जग कर दो l

क्षोभ, निराशा दुख सुदूर हो,
जागे अहम न हृदय क्रूर हो,
मन-मन में विश्वास भरो वह-
पापी का हर दम्भ चूर हो l
आलोकिता कर दो कण-कण माँ!-
नवल चेतना सबमें भर दो l

मन-मन हो संगीत प्रेम का,
मिलन भरा हो गीत प्रेम का,
जो चाहे वह मीत मिले माँ!-
ऐसा कर दो रीत प्रेम का l
कलुष-भेद हर दो मन से माँ!-
प्रेमिल निर्झर जग को स्वर दो l