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"माँ शारदे / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

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खोल किवाड़ हँसी के घरों में
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बसंत को तेरा उपकार लिखूँगी
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'''माँ शारदे तेरा प्यार लिखूँगी !'''
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पहाड़ी पगडण्डी पर घोर अँधेरे
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गाँव के जीवन में कर दे सवेरे
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गीतों में इनका  शृंगार लिखूँगी
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माँ शारदे तेरा प्यार लिखूँगी !
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सुन्दर शब्दों के फूल मैं चुनकर
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मनहर भावों के धागे में बुनकर
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नदी-वृक्ष-लता-शैल- शृंगार लिखूँगी
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माँ शारदे तेरा प्यार लिखूँगी !
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जीवन से ताप-संताप मिटा माँ
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आशा-अनुराग-आलाप सुना माँ
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निश्छल मन के उद्गार लिखूँगी
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माँ शारदे तेरा प्यार लिखूँगी !
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08:58, 28 जून 2019 के समय का अवतरण


खोल किवाड़ हँसी के घरों में
 मात बिखेर हरियाली बंजरों में
 बसंत को तेरा उपकार लिखूँगी
माँ शारदे तेरा प्यार लिखूँगी !

पहाड़ी पगडण्डी पर घोर अँधेरे
गाँव के जीवन में कर दे सवेरे
 गीतों में इनका शृंगार लिखूँगी
 माँ शारदे तेरा प्यार लिखूँगी !

सुन्दर शब्दों के फूल मैं चुनकर
मनहर भावों के धागे में बुनकर
नदी-वृक्ष-लता-शैल- शृंगार लिखूँगी
माँ शारदे तेरा प्यार लिखूँगी !

जीवन से ताप-संताप मिटा माँ
आशा-अनुराग-आलाप सुना माँ
निश्छल मन के उद्गार लिखूँगी
माँ शारदे तेरा प्यार लिखूँगी !