भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

माघ हे सखि मेघ लागल, पिया चलल परदेश हे / अंगिका लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

माघ हे सखि मेघ लागल, पिया चलल परदेश हे
अपनो वयस वहीं ठा बितैलक, हमरा के बारि वयस हे
फागुन हे सखि आम मोजरलै, कोइलो शब्द घमसान हे
कोइली शब्द सुनि हिया मोर सालै,
नयन नीर बहि गेल हे
चैत हे सखि लल बेली, भ्रमर लेल निज बास हे
तेजि मोहन गेलै मधुपुर, हमरा सेॅ कओनें अपराध हे
बैसाख हे सखि उखम जवाला, पिया रोपल चम्पा गाछ हे
ठाढ़ ताही तर हम भेलौं, बहि गेल शीतल बयार हे