Last modified on 6 सितम्बर 2016, at 04:54

माता गांधी बड़ों भागी छ / गढ़वाली

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

माता गांधी बड़ों भागी छ,
देश सेवा को अनुरागी छ।
बकरी को दूद सी खाँदू छ।
खादी को लाणू वो लाँदू छ,
पन्द्रह अगस्त हमू दिलेगी बो,
अंग्रेज सणी भगेगी बो,
आजादी हमू दिलेगी, बो।
राजू किसाणू दिलेगी, बो।

”ह्वे जाणो मेंबर सची, प्यारा कांग्रेस मा,
तिरंगो सो झंडा देखे, भायो बाजारु मा।“

क्रांतिकारियों को आता देखकर किसान कह उठता है

चला भाई देखि ओला, गांधी की पलटन दा।
अगणे गांधी सूबेदार, पिछने जबाहीर दा।
पेलि तिरंगो झंडा उठे, लन्दन का बची दा।
जौन तिरंगो झंडा छीने, अंग्रेजों को मोरी दा।
मोतीलाल को वीर जवाहर, भारत को राजा दा॥

शब्दार्थ
<references/>