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माता बाँझबाई बाँझबाई सब कहे हो माता / निमाड़ी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

माता बाँझबाई बाँझबाई सब कहे हो माता,
नहीं कहे बाळा की माय हो रनादेव।। वाँजुली।।
माता चार पहेर रात हाऊँ भुई मऽ सूती,
नहीं डसऽ वासुकी नाग हो रनादेव।। वाँजुली।।
माता चार पहेर रात हाऊँ अम्बा-बन सूती,
नहीं टूटी अम्बा की डाळ हो रनादेव।। वाँजुली।।
माता चार पहेर रात हाऊँ रस्ता मऽ सूती,
नहीं आई रेवा पूर हो रनादेव।। वाँजुली।।