भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

माते / राज हीरामन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मत रो माते !
अपनी जिंदगी को,
तेरी जिंदगी छोटी नहीं है ।
मत रो माते!
अपनी किस्मत को,
तेरी किस्मत खोटी नहीं है ।
मत डर माते!
अपने आंचल को
ममता की चोटी नहीं है ।
मत जा माते!
भूखे हैं बच्चे,
पास में रोटी नहीं है ।
मत रुक माते!
ममता-त्याग के सामने
ईश्वर की भी चलनी नहीं है !