भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मात कहे बात भली सुन सुन्दरी / निमाड़ी

Kavita Kosh से
सम्यक (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:36, 20 सितम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=निमाड़ी }} <poem> '''जब लडकी की विवाह के बाद बिदाई हो...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जब लडकी की विवाह के बाद बिदाई होती है तब सभी महिलाये उसे विदा करते हुए यह सीख देती है।

मात कहे बात भली सुन सुन्दरी,
लक्ष धरी वात न निभाव्जे हो
सयानी कुल न ल्जाव्जे।
ससरा खअपना बाप सम जान्जे,
सासु ख माय सम जान्जे
ओ सयानी...
जेठ का सामन हलू हलू चालजे,
जेठानी का मान ख ब्धावजे
ओ सयानी...
देवर ख अपना भाई सम जान्जे,
देरानी ख सई [सहेली] सम जाणिजे
ओ सयानी ....
नन्द ख अपनी बैन सम जान्जे,
ननदोई जी आया मिज्वान
ओ सयानी....
मात कहे बात भली सुन सुन्दरी,
लक्ष धरी बात न निभाव्जे
वो सयानी कुल न ल्जाव्जे