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माध्यम / संजय अलंग

Kavita Kosh से
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जुड़ता हूँ मैं सूर्य से
उसकी सुनहरी रश्मियों के द्वारा
इसके लिए मुझे हनुमान
नहीं होना पड़ता


जुड़ता हूँ मैं चाँद से
उसकी चाँदनी के द्वारा
इसके लिए मुझे राहू-केतु
नहीं होना पड़ता


जुड़ता हूँ मैं सागर से
गंगा-जमुना के द्वारा
इसके लिए मुझे आगत्स्य
नहीं होना पड़ता


जुड़ता हूँ मैं पुष्प से
उसकी भीनी खुशबू के द्वारा
इसके लिए मुझे माली
नहीं होना पड़ता


जुड़ता हूँ मैं संसार से
मनुष्य होने के कारण
इसके लिए मुझे
ईश्वर नहीं होना पड़ता