Last modified on 12 अगस्त 2017, at 15:37

मायाजाल / सिनान अन्तून

तुम्हारे होंठ
जैसे एक गुलाबी तितली,

उड़ती हुई
एक लफ़्ज़ से
दूसरे लफ़्ज़ को,

और मैं भागता हुआ
उनके पीछे
ख़ामोशी के
बग़ीचे में।

(काहिरा - जून 2003)

अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल