माया मोह जगत सब झोले।
सुरनर मुनी जन पीर औलिया सबके ध्यान पलक में खोले।
चहुअर भवन खंडकर डारे मन को संगम हाल में डोले।
काम कृपान लिये घट भीतर प्रेम की धार गत रुवा डोले।
जूड़ीराम प्रभंजन माया मर्म की धूर सबन को बोले।
माया मोह जगत सब झोले।
सुरनर मुनी जन पीर औलिया सबके ध्यान पलक में खोले।
चहुअर भवन खंडकर डारे मन को संगम हाल में डोले।
काम कृपान लिये घट भीतर प्रेम की धार गत रुवा डोले।
जूड़ीराम प्रभंजन माया मर्म की धूर सबन को बोले।