भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मार्ती / निकोलस गियेन

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:28, 8 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=निकोलस गियेन |संग्रह= }} Category:स्पानी भाषा <poem> '''…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: निकोलस गियेन  » मार्ती

मार्ती<ref>क्यूबा के पूर्वोत्तर में बसा एक शहर</ref>

ओह!
मत सोचो कि
उसकी आवाज़
एक आह है!
 
जिसके पास हैं
परछाईं जैसे हाथ
और धुँधली दृष्टि
जैसे
ठंड से काँपता कोई तिल किसी
गुलाब पर

उसकी आवाज़
जो दरार डाल दे चट्टान में,

उसके हाथ
दरका दें लोहे को,

उसकी आँखे
पहुँच जाएँ जलती हुई रात के जंगलों तक,
रात के काले जंगल

उसे छेड़ो: पाओगे कि वह जलाता है तुम्हे
उसे हाथ दो: देखोगे उसकी खुली बाहें
जिसमे समा जाए समूचा क्यूबा
जैसे तूफ़ान में मज़बूत पंखो वाला
चमकदार तोमेगिन<ref>सुरीली आवाज में गाने वाला फिन्च समुदाय का पक्षी।</ref>।

पर जरा रात में चलो इसके पीछे:
आह! क्यों खींचती हैं तुम्हे स्वच्छ राहें
उसकी रौशनी किसी रात में।

मूल स्पानी भाषा से अनुवाद : श्रीकान्त


शब्दार्थ
<references/>