भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

माहो-माही / शीन काफ़ निज़ाम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

माह<ref>चांद</ref>
माही<ref>मछली</ref> से खफा है
उछाल कर उस ने
कर दिया
मुंतशिर<ref>बिखरना</ref> मंज़र
मौज<ref>लहर</ref> माही के तआकुब<ref>पीछा करना</ref> में
गई है साहिलों<ref>किनारों</ref> तक

शब्दार्थ
<references/>