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मित्रताएँ / नीलाभ

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वीरेन के लिए

मनुष्यों की तरह
मित्रताओं का भी आयुष्य होता है

यही एक रिश्ता है
बनाते हैं जिसे हम जीवन में
शेष तो जन्म से हमें प्राप्त होते हैं
भूल जाते हैं लोग सगे-सम्बन्धियों के नाम
मित्रों के नाम याद रहे आए हैं

मित्रताओं का भी आयुष्य होता है
मनुष्यों की तरह
कुछ मित्रताएँ जीवित रहीं मृत्यु के बाद भी
आक्षितिज फैले कछार की तरह थीं वे
मिट्टी और पानी का सनातन संवाद
कुछ मित्रताएँ नश्वर थीं वनस्पतियों की तरह
दिवंगत हुईं वे
जीवित बचे रहे मित्र

2004