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मिरा नसीब अगर मेहरबान निकला तो / तसनीफ़ हैदर

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मिरा नसीब अगर मेहरबान निकला तो
वो आज रात इसी सम्त आन निकला तो

न पूछ फिर मिरी आँखों ने और क्या देखा
बचा के जब तिरी गलियों से जान निकला तो

वो एक लम्हा कि जिस को विसाल कहते हैं
तुम्हारे और मिरे दरमियान निकला तो

ख़ुदा के नाम तो मेरी सिफ़ात जैसे हैं
फ़साना उस का मिरी दास्तान निकला तो

ये रास्ता तो है कुछ कुछ तिरे बदन जैसा
यहीं कहीं पे हमारा मकान निकला तो

मैं किस यक़ीन से इंकार-ए-हश्र करता हूँ
ये सिर्फ़ वहम हुआ तो गुमान निकला तो