Last modified on 3 दिसम्बर 2008, at 01:33

मिलना-पाना / साधना सिन्हा

जो मिला
न हमें किसी से
खुश हो ले मन
औरों के पा लेने से !

दे दो वह सब
दे सको अगर
आकांक्षा, चाहत
जीवित–मृत्यु में
राहत
जूझे न वे तुमसे
बुझे न वे
दुख से
याद न करें बीता
बदली छटके
सूरज निकले सबका