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मुँह से शहद गिराएँ चाची / दीपक शर्मा 'दीप'

मुँह से शहद गिराएँ चाची
फिर उँगली चटकाएँ चाची

 तिकड़म-तुकड़म-हेरा-फेरी
सब को गोद खिलाएँ चाची

 पहले घर-भर आग लगाएँ
फिर अच्छी बन जाएँ चाची

चिढ़कर के इक बच्चा बोला
काश,अभी मर जाएँ चाची

  खुरच-खुरच दीवारें घर की
दिन-भर माटी खाएँ चाची

 उलटे सारा गाँव चिहुक कर
जब-जब दुखड़ा गाएँ चाची

एक काम की बात नहीं,अर
पकड़-पकड़ बतियाएँ चाची