Last modified on 18 जून 2015, at 16:45

मुक्तिबोध के लिए / प्रकाश मनु

वे एक आदिम यज्ञ कर रहे हैं
और उसमें सबके साथ
मरे हुए तुम्हें भी झोंक देंगे
अब वे तुम्हें भी खत्म करेंगे
तुम उनके बहुत काम नहीं आ सके

और अब तक-तुम्हारे मरने के
बाद भी उन्होंने बहुत इन्तजार किया है
कि तुम ठीक ठिकाने आ सको...
ठीक ठिकाने यानी उनकी पार्टीबाजी
में फिट आ सको प्रचार के लिए
कुछ नाटकीय पंक्तियों के साथ
उलटे लटकाए जा सको

पर तुम थे कि हमेशा फ्रेम से बाहर आकर
मुसकराते बोलते बतियाते रहे
जीवन्त किसी आत्मस्थ सत्य को पाने
आदमी को उसकी पूरी जटिलता
पूरी सच्चाई के साथ देख पाने के लिए ललकारते रहे

तुम जो अपना ही मांस
बार बार काट-काटकर देते रहे
अब उनके लिए अप्रासंगिक
और मात्र भाववाचक रह गए हो और हर बार
आड़े आते हो...इस बार के सालाना
रक्तयज्ञ में वे तुम्हारी बलि देंगे!