Last modified on 19 सितम्बर 2018, at 02:34

मुखड़ा / गंग नहौन / निशाकर



मुँह एकेटा
मुदा देखियौ
कतेक मुखड़ा
लगौने रहैत अछि
मनुक्ख।

आदिकालसँ आइ धरि
बदलि रहल अछि
पल-पल
अपन मुखड़ा।

कखनो हिटलरक
तँ कखनो लादेनक
कखनो रामक
तँ कखनो रावणक
कखनो योगीक
तँ कखनो भोगीक।