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मुखौटा/ सजीव सारथी

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पहचान लेता है चेहरे में छुपा चेहरा - मुखौटा,
मुश्तैद है, तपाक से बदल देता है चेहरा - मुखौटा।

कहकहों में छुपा लेता है, अश्कों का समुन्दर,
होशियार है, ढांप देता है सच का चेहरा - मुखौटा।

बड़े-छोटे लोगों से, मिलने के आदाब जुदा होते हैं,
समझता है खूब, वक्त-ओ-हालात का चेहरा - मुखौटा।

देखता है क्यों हैरान होकर, आइना मुझे रोज,
ढूँढ़ता है, मुखौटों के शहर में एक चेहरा - मुखौटा।