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मुझको अपनी बात इशारों में कहने दो / प्रमोद तिवारी

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बहुत साफ बोलूंगा तो
सारा जग धुंधला हो जाएगा
बेहतर होगा
मुझको अपनी बात
इशारों में कहने दो

एक बार सूरज को
सूरज क्या लिख दिया
गीत में मैंने
सारी उम्र अंधेरे ने
धमकाया
मुझे रोशनी लिख दो
एक बार पूनम का
चांद छू गया
मन की शीतलता को
सारी उम्र
धूप ने तड़पाया
कि मुझे
चांदनी लिख दो
अंधियारे को
लिखा रोशनी
और धूप को
कहा चांदनी
मनमानी करने वाले पर
खूब हुई
जमकर मनमानी
कभी अकेले में मिलना तो
मजबूरी भी बतला दूंगा
लेकिन बेहतर होगा ये
ये हालात
इशारों में कहने दो