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मुझको जबाब दे वह जो लाजबाब कर दे / ब्रह्मदेव शर्मा

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मुझको जबाब दे वह जो लाजबाब कर दे।
मुझमें मुझी-सा कोई लाकर शबाब भर दे॥

वो मुझसे रूठ जाये तो मैं उसे मना लूँ
मैं उससे चाहकर भी रूठूँ न वह असर दे।

नाकामियों ने अक्सर गुमराह ज़िन्दगी की,
बेचैनियों में कोई खुशियों की इक खबर दे।

जिसको भी देख ले तू डूबा हुआ घृणा में,
मेरे खुदा उसे तू प्यारी-सी इक नज़र दे।

पगडंडियाँ बड़ी कर राहें बना दे चौड़ी,
कम कर दिलों की दूरी चाहत भरी सहर दे।

गाँवों के वास्ते मैं शहरों को भूल जाऊँ,
शहरों में गाँव जैसा कोई तो इक शहर दे।