Last modified on 9 जुलाई 2015, at 12:26

मुझमें भी ताकत सच अम्मा / दिविक रमेश

होती लहरें कितनी कोमल
लहरें कितनी होती सुन्दर
पर ताकत भी कितनी होती
हिल हिल जाता अजी समन्दर।

मां मुझको लहरों सा मानो
जग को एक समन्दर अम्मा!
कहो हिलाकर इसको रख दूं
मुझमें भी ताकत सच अम्मा!

हाँ हाँ बिटिया सच कहती हो
नहीं ना हो तुम किसी से कम
पर पहले तुम खा लो, पढ़ लो
लगा लगा के पूरा दम खम!