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मुझे अंजाम कहते हो, मेरा अंजाम हो जाओ / पूजा श्रीवास्तव

मुझे अंजाम कहते हो, मेरा अंजाम हो जाओ
मुझे लिख दो सुबह, मेरी सुहानी शाम हो जाओ

जुड़ो ऐसे कि गुंजाईश रहे न दरमियानी में
मेरी किस्मत की तहरीरों में लिक्खा नाम हो जाओ

तुम्हारे साथ में ग़ाफ़िल हमारी रूह लगती है
करो बाँहों को मयखाना; हमारा जाम हो जाओ

नवाज़ेगा ज़माना तोहमतें मुझको कई देकर
मेरे हिस्से में तुम आकर मेरा ईनाम हो जाओ

मैं पागल सी जिसे ढूंढा करूँ अपनी किताबों में
किसी पन्ने पे छोटा सा वही पैगाम हो जाओ