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मुझे चूमो तुम यहाँ / पलीना बर्स्कोवा / अनिल जनविजय

मुझे चूमो तुम यहाँ,
जहाँ पानी ही पानी है।
मुझे चूमो तुम वहाँ,
वहाँ पानी ही पानी है।
चार दिन से बारिश,
बरस रही है मुझ पर।

जब माथा चूमा तुमने मेरा,
मछली-गन्ध ने तुमको घेरा।
चुपचाप चूमो तुम मेरा मुँह,
महसूस करोगे मछली की रुह।
मछली-मछली को चूमे है,
तीजी मछली का मन घूमे है।

नहीं चाहे वो हम प्यार करें,
प्यार करें और फूल झरें।
वो बीच में बाधा बनती है,
गरम शीशे सी पिघलती है।
मैं उसके पार से झाँकती हूँ,
कीमती कपड़ों को ताकती हूँ।

होंठ खुले दिखते उसके,
फुसफुसा रहे हैं कुछ क़िस्से।
तुम हो सुन्दर और प्यारी,
नन्हे कीड़े-सी एक नारी।

मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय