भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मुझे याद है / मूसा जलील / अनिल जनविजय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुझे याद है —
उस पहली मुलाक़ात में
कितना मधुर तुम मुस्कराई थीं
शर्म से हो गई थीं लाल
कैसे घबराई थीं, बुदबुदाई थीं ।

मुझे याद है —
कैसे बचकर भागी थीं तुम मुझसे
और मुझे दिल की आग ने जलाया था
कैसे बार-बार रोया था दुख में मैं
उन नींद रहित रातों ने मुझे जगाया था ।

मुझे याद है —
कैसे किसी सपने-सा उस दर्द से अलग हुआ
जिसकी याद मेरे पास है अब भी
प्यार मेरा ठण्डा था या गर्म या जोशीला
लेकिन वह प्यार मेरे साथ है अब भी ।

रूसी से भाषान्तर : अनिल जनविजय