भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मुझे शब्द नहीं मिलते हैं, / गुलाब खंडेलवाल

Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:05, 20 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=बूँदे - जो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुझे शब्द नहीं मिलते हैं,
यह व्यथा कैसे तुम्हें समझाऊँ !
वे फूल कहाँ हैं जिनसे तुम्हारे लिए माला गूँथकर लाऊँ!
कोई भी कविता ऐसी नहीं है जो व्यक्त कर सके यह अभिलाषा,
मेरी आँखों में बैठकर पढ़ लो मेरे मन की भाषा