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मुनिया ने पीहर में आना-जाना छोड़ दिया / योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’

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मुनिया ने पीहर में आना-
जाना छोड़ दिया

ना पहले जैसा अपनापन
ना ही प्यार दिखा
फ़र्ज़ कहीं ना दिखा; दिखा तो
बस अधिकार दिखा

चिट्ठी ने भी माँ का हाल
बताना छोड़ दिया

वृद्ध पिता का बरगद-सा जब
साया नहीं रहा
मिट्ठू ने भी राम-राम तक
मन से नहीं कहा

ममता ने भी भावों को
दुलराना छोड़ दिया

बीते कल को सोच-सोचकर
नयन हुए गीले
कच्चे धागे के बंधन भी
पड़े आज ढीले

चावल ने रोली का साथ
निभाना छोड़ दिया