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मुर्गे की लड़ाई / राज हीरामन

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अंग्रेज़ उपनिवेशों ने
हम भारतीय अप्रवासियों को
कभी विभाजित नहीं किया था !
वे तो मुर्गे की लड़ाई के बहाने,
हमें एकत्र करना चाहते थे !
अंग्रेज़ तो चले गए !
मुर्गे अब तो फ्रोजन आते हैं ।
परंतु वे अखाड़े,
आज भी भरे पड़े हैं।
जहाँ भिड़ रहे हैं हम अप्रवासी !