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मुस्कुराते ग़र रहोगे और पास आएँगे लोग / राम गोपाल भारतीय

मुस्कुराते ग़र रहोगे और पास आएँगे लोग
तुम अगर रोने लगोगे दूर हट जाएँगे लोग

आज भोलेपन की क़ीमत ये भला समझंगे क्या
एक दिन खो देंगे तुझको और पछ्ताएँगे लोग

साँप अब डसने लगे है आस्तीनों से निकल
और कब तक दोस्त बनकर हमको बहलाएँगे लोग

हर गली, हर मोड़ पर, तैयार बेठे है सभी
आइना दिखलाओगे तो ईंट बरसाएँगे लोग

हादसे में जल गया है जिसके सपनो का जहाँ
वो भला समझेगा कैसे, कैसे समझाएँगे लोग

अब कोई समझे न समझे लेखनी के दर्द को
एक न एक दिन तो हमारे गीत दोहराएँगे लोग