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मुस्कुराहटें / मृदुला शुक्ला

मुस्कुराहटें होती हैं फूलों से हलकी
शायद सुगंध से भी
हँसी की पोटली से
खुल कर गिरती हैं छन्न से
और परागकणों के साथ
बहती चली जाती हैं हवा में दूर तक

बहुत सूक्ष्म होते हैं इनके के जीवाणु
एक होठ से दूसरे होठ तक
संक्रमित करते है ,अदृश्य रूप से

अजी ये सुनी सुनी सुनाई बातें हैं
बहुत भारी होती है मुस्कान
जीवन के मुश्किल दिनों ने
आप अपनी पूरी ताकत से सम्हाले रखते हैं
चिपकी रही आपके चहरे से

मगर बार बार आ ही जाता है वो लम्हा जब
कमज़ोर हो जाते हैं आपके इरादे
या बेहद भारी हो जाती है आपकी मुस्कान
छूट कर गिर जाती है आपके होठों से

छनाक से गिरती है वो
बिखर जाती हैं टूट कर
उनकी किरचें चुभती रहती हैं
बरसों बरस
कभी आँखों में कभी पैरों में