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"मुहब्बत का ही इक मोहरा नहीं था / हस्तीमल 'हस्ती'" के अवतरणों में अंतर

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मुहब्बत का ही इक मोहरा नहीं था
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मुहब्बत का ही इक मुहरा नहीं था
 
तेरी शतरंज पे क्या-क्या नहीं था
 
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जहाँ दिल था भले दरिया नहीं था
 
जहाँ दिल था भले दरिया नहीं था
  
हमारे ही कदम छोटे थे वरना
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यहाँ परबत कोई ऊँचा नहीं था
 
यहाँ परबत कोई ऊँचा नहीं था
  

14:28, 17 जून 2020 के समय का अवतरण

मुहब्बत का ही इक मुहरा नहीं था
तेरी शतरंज पे क्या-क्या नहीं था

सज़ा मुझको ही मिलती थी हमेशा
मेरे चेहरे पे ही चेहरा नहीं था

कोई प्यासा नहीं लौटा वहाँ से
जहाँ दिल था भले दरिया नहीं था

हमारे ही क़दम छोटे थे वरना
यहाँ परबत कोई ऊँचा नहीं था

किसे कहता तवज्ज़ो कौन देता
मेरा ग़म था कोई क़िस्सा नहीं था

रहा फिर देर तक मैं साथ उसके
भले वो देर तक ठहरा नहीं था