भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मृगतृष्णा / रंजना भाटिया

Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:12, 16 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना भाटिया |संग्रह= }} <poem>दो अलग रंग ..... '''१''' एक मृ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दो अलग रंग .....


एक मृगतृष्णा
एक प्यास..
को जीया है
मैंने तेरे नाम से
दुआ न देना
अब मुझे..
लम्बी उम्र की
और ..........
न दुबारा...
जीने को कहना


बंधने लगा
बाहों का बंधन..
मधुमास-सा
हर लम्हा हुआ..
तन डोलने लगा
सावन के झूले-सा..
मन फूलों का
आंगन हुआ..
जब से नाम आया
तेरा मेरे अधरों पर
अंग-अंग चंदन वन हुआ |