भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मृत्यु आ मृत्यु / महाप्रकाश

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता २ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:05, 5 जून 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महाप्रकाश |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} {{KKCatMaithiliR...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घरमे खिड़की।। खिड़की मे
एक जोड़ी प्रतीक्षारत आँखि आ
दू टा ठोर।। ठोरमे बंसती मुस्की
मुस्कीमे हमरा ललेल प्रेम आ
प्रेममे एकटा श्रद्धा।। एकटा मनु
एकटा इड़ा।। इड़ामे कामना आ
कामनामे हमर मृत्यु।। एहि मृत्युमे
शून्य।। नीलवर्ण शून्य।। एहि
शून्यमे ब्रह्माण्ड।। आ ब्रह्माण्डमे
एकटा घर।। घरमे खिड़की।।
खिड़कीमे जोड़ी भरि प्रतीक्षारत
आँखि।। आ आँखिमे आकास
आकासमे पसरल नक्षत्र-माला
नक्षत्र-मालामे ज्योति।। ज्योतिमे
ईश्वर।। ईश्वरमे हमर चिर-याचित
मृत्यु।। आ मृत्युमे चिर मुक्ति।